पृथ्वी की उत्पत्ति कैसे हुई
पृथ्वी की उत्पत्ति – हमारी पृथ्वी या ब्रम्हांड यह एक ऐसा अकेला ग्रह है जहाँ जीवन मौजूद है हमारी पृथ्वी की आयु लगभग 4.543E9 वर्ष है हमारी पृथ्वी का मेल और किसी की तुलना में नहीं किया जा सकता यहाँ बड़े बड़े तथा अति प्रिय नज़ारों वाला पर्वत तथा पठारों के साथ साथ जीवन के कई मूलभूत आधार भी है तथा इन सबके कारण पृथ्वी पर जटिल जीवन पनप रहा है स्पेस तथा ब्रह्मांड में हमारी पृथ्वी के अलावा और कई अन्य ग्रह है लेकिन उस गृह में जीवन नहीं है पृथ्वी के बारे में हमें और अच्छे से जानने के लिए हमें समय में थोड़ा पीछे जाना पड़ेगा आज से लगभग 7,00,00,000 साल पहले

हाइड्रोजन से बना हीलियम और एक बड़ा घूमता हुआ बादल जिसे सोलर नेब्युला नाम दिया गया है वो ग्रेविटी के प्रभाव में सिकुड़ने लगा और आस पास की गैस बादल की केंद्र में जमा होने लगा जिससे केंद्र का गड़तव्य बढ़ गया और उसके साथ गैस का तापमान भी और एक दिन अचानक बादल में विस्फोट हुआ जिसका कारण पास के कोई तारे से टक्कर होने से हुआ और इस विस्फोट से जन्म हुआ हमारे सूरज का अब हमारे शौर्य मंडल को अपना केंद्र मिल चुका सूरज के गुरुत्वा कर्षण से आस पास के गैस और पत्थर के का कण आपस में जुड़ने लगे सूरज की चारो ओर परिक्रमा करने लगे और धीरे धीरे समय बीतने के बाद पत्थर और गैस मिलकर एक गोल आकार ले लिया जिससे हमारी पृथ्वी की उत्पत्ति तथा जन्म हुआ –
वायुमंडल का निर्माण
पृथ्वी के निर्माण के बाद पृथ्वी की शुरुआती समय में इसका तापमान बहुत ज्यादा था और उसी समय ज्वाला मुखी विस्फोट हुआ करता था और इस समय को हेतीयन युग नाम दिया गया है धीरे धीरे गुरूत्वा कर्षन के प्रभाव से सतहों की भारी गर्म पदार्थ केंद्र की तरफ आने लगे इससे पृथ्वी की सतह ठंडी होने लगी और ज्वालमुखी से निकलने वाली अलग अलग गैसों ने वायुमंडल का निर्माण किया!
पृथ्वी में पानी कहा से आया
धरती पर पानी विज्ञान के अनुसार आज से करीब 13.8 अरब साल पहले एक विस्फोट से हुई और इस विस्फोट का नाम बिग बैंग और श्रृष्टि के जन्म के बाद जन्मा एक और चीज हाइड्रोजन h2o भारी तापमान में हाइड्रोजन के टकराने से हीलियम बना!

फिर हाइड्रोजन तथा हीलियम के फ्यूजन से बाकी एलिमेंट बने उनमें से एक था ऑक्सीजन बने इसके बाद माहोल ठंडे होने के बाद हाइड्रोजन और ऑक्सीजन आपस में रहना शुरू हुआ इसको केमिस्ट्री की भाषा में बंद बनना कहते है जब ऑक्सीजन और हाइड्रोजन मिले तो एक मॉलिक्यूल बना जिसका नाम पड़ा h2o या सरल शब्द में कहे तो पानी तो कुछ इसी प्रकार हमारी पृथ्वी पर पानी का निर्माण हुआ!
पृथ्वी पर जीवन कैसे आया
पृथ्वी पर जीवन कैसे आया तो दोस्तो तो हम आज इसके बारे में आपको डीटेल से बताएंगे पृथ्वी ये वही ग्रह है जहा आज हम सब रहते है जैसे की आप सब जानते है की लाखो अरबों साल पहले पृथ्वी का तापमान जीवन जीने लायक नही था लेकिन पृथ्वी कुछ समय बाद परिवर्तन होते होते तापमान कुछ समय बाद थोड़ा ठंडा हुआ और इस पर एक ठोस सतह का निर्माण हुआ आज से करीब 3.9 अरब साल पहले पृथ्वी ने फिर आग के गोले की बारिश का सामना किया जिसे हम कहते है the late heavy bombardment कहते है!
और इस वक्त धरती पर केवल छोटे चट्टान ही नही बल्कि इसके साथ साथ उल्का पिंडो की बारिश हो रही थी प्रतिदिन कई हजारों की संख्या में उल्का पिंड धरती पर बरस रहे थे ये उल्का पिंड अपने साथ कुछ खास लेकर आए थे इनके अंदर जमी हुई बर्फ के क्रिस्टल थे जिसने हमारी धरती पर समुद्रो का निर्माण किया और साथ में धरती के वातावरण में नाइट्रोजन गैस को लेकर आया पर धरती अब भी बेजान था क्योंकि धरती का एटमोशफेयर पूरी तरह से जहरीले गैसो!

से भरा हुआ था यह वायुमंडल में ऑक्सीजन था ही नही और धरती भी चारो तरफ से समुद्र से घिरा हुआ था पर अब यह परिस्थितियां बदलने वाली थी करीब 3.8 अरब साल पहले हमारी धरती पर एक बार फिर उल्का पिंडो की बारिश हुई पर अब के बार केवल यह अपने साथ पानी ही नही लाए थे बल्कि यह बेहद अनमोल चीज लेकर आए थे जो धरती को जीवन देने वाला था ये पिंड अपने साथ खनिज यानी मिनिरल्स लेकर आए थे साथ ही इन्होंने कार्बन प्रोटीन और एम्यूनो समुद्र के गहराई तक परिवहन किया परंतु समुद्र के गहराई में तापमान बहुत कम था यह सूरज की रोशनी पहुंच नई सकती थी लेकिन समुद्र के गहराई में छोटे छोटे चिमनी थे जो पानी को अंडर में गरम रखते थे और यही पर जीवन का बीज पनपा हम ये नही जानते की ऐसे कैसे हुआ था!
लेकिन किसी प्रकार से उन सारे मिनिरल्स और केमिकल्स ने आपस में अभिक्रिया करके जीवन का बीज बोया और यही पर जन्म हुआ एक कोसिकीय जीवो का ये एक प्रकार के बैक्टेरिया थे जो समुद्र में पूरी तरह फैल गया अब ये समुद्र पूरी तरह से एक शुचम जीवो से भर गया था कई करोड़ साल बाद मतलब आज से करीब 3.5 अरब साल पहलेसमुद्र के अंदर इन बैक्टीरिया की संख्या इतनी बड़ गई!
थी की ये आपस में जुड़ कर एक तरह के पत्थरों की संरचनाओं में बदल गए थे जिसे कहा जाता है स्ट्रोमेटलाइज इसके बाद धरती में आइसेज की प्रक्रिया चालू हो गई मतलब धरती पानी के साथ बर्फ भी गिरने लगे लगभग कुछ समय बाद धरती पूरी तरह बर्फ में प्रवर्तित हो गई यह लगातार नही होने वाला था इसके बाद फिर धरती पर फिर तापमान बड़ने लगे जिससे ज्वालामुखी फटने लगे लगातार कुछ समय तक ऐसे ही चलने लगा लेकिन जब पृथ्वी पूरी तारा फिर ठंड हुई तो उन शूछम जीव दूसरे प्रजातिवमे परिवर्तित हो गए थे और ऐसे परिवर्तित होते होते धरती पर जीवन का जन्म हुआ !- पृथ्वी की उत्पत्ति
पृथ्वी पर डायनासोर का अंत कैसे हुआ

डायनासोर फ़ से लगभग करोड़ साल पहले धरती पर राज़ करते थे डायनासोर एक विशालकाय जंगली जानवर था वैज्ञानिक इसके तहत तक पहुँच चूके हैं हाल ही में मेक्सिको की खाड़ी मैं एक क्रेटर मिली एस्टेरॉयड के धूल से पता चलता है कि आज से लगभग 6.6 करोड़ साल पहले अंतरिक्ष से एक विशालकाय चट्टान जो धरती की ओर भारी स्पीड में आ रही थी और वह पृथ्वी से टकरा गयी आर उसी समय पृथ्वी पर 75% से अधिक जीवन को नष्ट कर दिया था जिससे धरती पर मौजूद डायनासोर तथा अन्य सभी जीव जंतु इसमें समाप्त हो गए थे!
पृथ्वी पर मनुष्य का जन्म कैसे हुआ
धरती पर मनुष्य के जन्म के बारे में बड़े बड़े विद्वानों का अनुमान है कि आज से लगभग पांच या 10 वर्ष पहले नर तथा वार्नर से ऐसे प्राणी का जन्म हुआ जिसकी आकृति आधुनिक युग के मानव से अत्यधिक मिलती जुलती थी वातावरण में धीरे धीरे अनुकूलन करने के लिए यह प्राणी पेड़ों से नीचे उतरकर धरती में अपने पैरों के सहारे चलने लगे तथा समय बढ़ने के साथ साथ उन्होंने अपने हाँ तो का उपयोग करना भी सीख लिया और धीरे धीरे इनके मस्तिष्क का विकास होता गया इन प्राणियों ने पाषाण युग के आरंभ में आदिमानव का रूप धारण करने लगे फिर बढ़ते पद्धति के आदिमानव के रहन सहन पहनावे तथा खानपान में विकास हुआ हर समय के साथ साथ आदिमानव इंसानों के रूप में परिवर्तित होते गए!
jai shree ram