आदिवासी अपने आप में एक गौरवशाली शब्द है आदिवासी ऐसे लोग होते हैं जिन्होंने अपने पारंपरिक संस्कृति को बचाए रखा हमेशा स्वतंत्रता प्रिय और स्वाभिमानी रहे जिन्होंने देश में संस्कृति के बीज बोए यह आदिवासी ही थे जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता का बीज बोया।
आज हम आदिवासियों के बारे में जानेंगे कि आदिवासी कौन है – Adivasi Kaun Hai, प्रमुख आदिवासी जन समूह, आदिवासी भाषा, आदिवासी परंपरा व संस्कृति प्रमुख आदिवासी व्यक्ति आदिवासियों की समस्याओं निवारण आदि।
आदिवासी कौन है
आदिवासी शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है एक आदि और दूसरा वासी इन शब्दों का अर्थ मूल निवासी होता है भारत की जनसंख्या का 8.6% करीब 10 करोड़ लोग आदिवासी हैं यह आदिवासी लोग प्रकृति को भगवान मानते हैं प्रकृति की पूजा करते हैं आदिवासी प्रकृति में पाए जाने वाले जीव-जंतु पर्वत नदिया जंगल नहर खेतों की पूजा करते हैं और प्रकृति को अपनी मां मानते हैं आदिवासी प्रकृति से उतनी ही चीजें लेते हैं जितने उन्हें आवश्यकता होती है आदिवासियों को जनजाति भी कहते हैं।
आदिवासी में कौन-कौन सी जातियां हैं
भारत में करीब 461 जन जातियां पाई जाती है जिनकी कई उपजातियां भी होती है मोटे तौर पर हम अधिक जनसंख्या वाली जनजातियों के बारे में जानेंगे
गोंड जनजाति
गोड़ भारत की सबसे बड़ी जनजाति है यह जनजाति पांचवी से छटी जनजातिवके दौरान गोदावरी के तट से होकर मध्य भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में फैल गई गोंड जनजाति गोंडी भाषा बोलते हैं जो कि तेलगु कन्नड़ तमिल आदि से संबंधित है गोड जनसंख्या का मामले में प्रथम स्थान पर है इनकी संख्या चार करोड़ है 17 वी सताब्दी के बीच गोडवाना में अनेक गोड राजवंशों का द्रण और सफल शासन स्थापित था।
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गोंडो का अपना एक प्रदेश था जिसे गोंडवाना कहा जाता था गोंड आदिवासियों की संस्कृति बेहत ही निराली है उन्हें अपनी संस्कृति और रीति रिवाज पर गर्व है गोंड जनजाति के प्रमुख व्यक्तियों रानी दुर्गावती जिन्होंने अकबर के खिलाफ युद्ध किया शंकरशाह जिन्होंने अंग्रेजों का विरोध किया था तब गोंडवाना के राजा शंकर शाह और उनके बेटे को रोग के तोप के मुंह बांधकर उड़ा दिया गोंडवाना में तीन राजा हुए।
संथाल जनजाति
संथाल अपने आप में एक स्वतंत्र जनजाति है इस जनजाति के लोग संथाल भाषा बोलते हैं हिंदू धर्म और अन्य धर्मों में जहां महिलाओं को विशेष सम्मान नहीं दिया जाता वहीं संथाल जनजाति एक ऐसी जनजाति जिसमें चाहे लड़के का जन्म हो अथवा लड़की का दोनों को ही सम्मान की नजरों से देखा जाता है सभी लोगों को स्वतंत्रता होती है सभी लोग पढ़ लिख सकते हैं।
महिलाओं को विशेष सम्मान दिया जाता है उन्हें सती प्रथा पर्दा प्रथा और दहेज प्रथा की चंगुल से आजादी मिली होती है सभी लोग शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं वे इच्छित रूप से सज धजकर से सवर सकते हैं वह नौकरी मेहनत-मजदूरी इच्छित कार्य कर सकते हैं वे संताली थे जिन्हें भारत की आजादी का बीज बोया था संतालों ने 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया साथ-साथ के अन्य आदिवासी जन समूह ने भी 1857 के पहले ही ब्रिटिशों के खिलाफ विद्रोह का झंडा गाड़ दिया था।
भील जनजाति
भील जनजाति इतिहास बहुत ही गौरवशाली रहा है भील जनजाति के पास अपनी संस्कृति रिवाज रिवाज और परंपराएं भाषा है यह जनजाति स्वतंत्रता प्रीय रही है इन्होंने कभी भी बाहरी असत्ता की गुलामी नहीं करी यह जनजाति भगवान शिव की आराधना करती है साथ-साथ भील जनजाति प्रकृति पूजक रही है भीलों की आबादी मध्य प्रदेश में सर्वाधिक है यह गुजरात राजस्थान और महाराष्ट्र में है भील देश में एक अलग भील प्रदेश बनाने की मांग पर रहें साथ-साथ भील नर्मदा भील रेजिमेंट आदि भीलों की मांगे है भीलों का इतिहास सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ा है।
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एक समय जनजाति मिस्र से लेकर श्रीलंका तक फैली थी इन्होंने पाकिस्तान-भारत हिमालय क्षेत्र नेपाल बंगा रोड श्रीलंका में शासन स्थापित किया भीलों ने विश्व प्रसिद्ध हुई गवरी, राई घूमर पिथौरा पेंटिंग और भैरवगढ़ की विश्व प्रसिद्ध साड़ियों का विकास किया है भील युद्ध के मैदान में बड़े ही चतुर थे भीलों ने हल्दीघाटी युद्ध खानवा का युद्ध अरबों के खिलाफ मुगलों के खिलाफ षक और राणा के खिलाफ मराठों खिलाफ और ब्रिटिशों के खिलाफ कई युद्ध लड़े और जीत के झंडे भी लहराए भीलों के प्रमुख व्यक्तियों में राणा पूंजा एकलव्य शबरी वाल्मिकी बिंबिसार चंद्रगुप्त कोटिया भील गोविंद गुरु मोतीलाल तेजावत सरदार हेम सिंह भील कालीबाई भील सरदार हीरा भील प्रमुख रहे।
अहोम जनजाति
अहोम जनजाति मौजूदा म्यांमार से आकर 13वीं सदी में ब्रह्मपुत्र घाटी में आ बसे उन्होंने लोगों की राजनीतिक व्यवस्था का दमन करके नए राज्य की स्थापना करी एहोमो ने एक बड़ा राज्य बनाया उन्होंने 1530 के दशक में ही आग्नेय अस्त्रों का इस्तेमाल किया 1660 तक आते-आते वे उच्च स्तरीय बारूद और तोपों का निर्माण करने में सक्षम हो गए थे।
आदिवासियों का इतिहास
आदिवासियों के बारे में बहुत कम ही लिखा है और आदिवासियों ने लिखित परंपरा शायद नहीं अपनाई या फिर उनके लिखित दस्तावेजों को खत्म कर दिया गया और आदिवासियों की उनकी परंपरा रही है उनके गीत संगीत और परंपरा में उनका इतिहास छुपा है।
जिसे इतिहासकार और अन्य शोधकर्ता आदिवासी इतिहास को सभी के सामने ला रहे हैं दोस्तों आपको बता दें कि सच में भी अवश्य इतिहास बहुत ज्यादा गौरवशाली रहा है यह फ्रिल हुए जो हंसते-हंसते स्वर्ग हो सकते हैं लेकिन कभी रुलाते नहीं है यह इतिहास बताता है उन्होंने कई साम्राज्य स्थापित किए जिन पर बाहरी आक्रमणकारियों ने आक्रमण किया आदिवासियों ने देश में समानता और स्वतंत्रता बनाए रखा।
प्रमुख आदिवासी व्यक्ति
बिरसा मुंडा
बिरसा मुंडा ने बहुत ही कम उम्र में ब्रिटिशों का विरोध किया अबुआ दिसुम अबुआ राज, इसका मतलब है हमारे देश हमारा राज्य का नारे दिए बिरसा मुंडा को झारखंड बिहार उड़ीसा छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में भगवान की तरह पूजे जाते है।
तात्या भील
तात्या भील मध्य प्रदेश के खंडवा के रहने वाले थे जब मराठा अंग्रेजों से हार गए तब भील प्रमुख तात्या भील ने अंग्रेजों के खिलाफ कई विद्रोह उन्हें इंडियन रोबिन्हुड कहा जाता है उन्होंने मध्य प्रदेश गुजरात महाराष्ट्र और राजस्थान की भील और अन्य लोगों को एकजुट कर अंग्रेजों खिलाफ आंदोलन किए।
कुंवर नारायण सिंह
कुंवर नारायण सिंह छत्तीसगढ़ के एक जमींदार थे उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ बग़ावत कर दी तब अंग्रेजों ने वीर कुंवर सिंह नारायण को नगर के बीच चौराहे पर लटका कर मौत दे दिया चील कौवे उनके शरीर को नोच नोचकर खा गए।
मोतीलाल तेजावत
मोतीलाल तेजावत भोमत के भील विद्रोह के प्रमुख नेता थे उन्होंने भील राज्य के भीलों को एकजुट कर अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया मानगढ़ आंदोलन में गोविंद गुरु और मोतीलाल तेजावत की अगुआई में आंदोलन हुआ जिसमें 1500 से भी ज्यादा भील मारे गए।
तिलक मांझी
तिलक मांझी ने ब्रिटिशों के खिलाफ पहली लड़ाई लड़ी थी वे एक लोकप्रिय संथाल दें अंग्रेजों की नीतियों के खिलाफ उन्होंने पहली आजादी की लड़ाई लड़ी थी।
गुंडाधुर
गुंडाधुर आजादी की जंग में छत्तीसगढ़ के ऐसे महानायक जिनके नाम से अंग्रेजो की रूह कांप जाती थी उन्होंने अपने देश को अंग्रेजों के चंगुल से छुड़ाने के लिए सब कुछ कुर्बान कर दिया।
आदिवासियों की समस्याएं और निवारण
दोस्तों आदिवासी हमेशा से ही प्रकृति को भगवान मानता आया है प्रकृति मां है साथ ही साथ इस आदिवासियों में पुरुषों और महिलाओं को एक समान अधिकार प्राप्त है लेकिन जैसे-जैसे यह बाहरी लोगों के संपर्क में आए तब उनसे जल जंगल जमीन के अधिकार छीने गए थे और जब आदिवासी अपने हक की लड़ाई लड़ता है तब उन्हें नक्सलवादी कह दिया जाता है दोस्तों आदिवासी भारतीय समाज का एक अभिन्न अंग है आदिवासी सम्मान के हकदार हैं आदिवासियों के हितों की रक्षा में ही पूरी दुनिया का फायदा है।
FAQ – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
आदिवासी का भगवान कौन है?
आदिवासी लोग अपना भगवन बिरसा मुंडा को मानते है
क्या आदिवासी हिंदू धर्म है?
आदिवासियों का अपना अलग धर्मं है ये प्रकृति पूजक होते है और प्रकृति एवं जंगलो की देखभाल ही अपना धर्मं मानते है ये लोग इंसानों की वेश्भुसा देख हिन्दू, इसाई, इस्लाम धर्मं को अपनाये है
आदिवासी कौन सी भाषा बोलते हैं?
आदिवासियों में मुख्यता तीन भाषाए बोली जाती है भीली, गोंडी, संताली इसमें सबसे ज्यादा संताली भाषा बोली जाती है
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