मोगिया जनजाति कि विशेषता
छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल के कुछ स्थानों में घुमंतू जाति मोगिया निवासरत हैं इस समाज के उत्पत्ति के बारे में अनेक लोक कथाएं प्रचलित है मोगिया जाति के लोग अपना संबद्ध राजस्थान के विभिन्न राज़ वंशों से बताते हैं यह जाति मुख्य रूप से कच्चे मकानों झोपड़ी तंबू या अस्थायी आवासों में निवास करते हैं यह मुख्य रूप से एक शिकारी और खाद्य संकलक नृजातीय समूह है
मोगिया जनजाति गोदना अंकन
इस जाति के लोगों में बहुत कम गोधना के प्रति झुकाव देखा जाता है और समिति अंगों में गोदना आंकलन कराते हैं
मोगिया जनजाति कि देवी पूजन
इस समाज के लोग मुख्य रूप से वनदेवी काली देवी चंडी देवी ओर काली देवी की पूजा करते हैं अन्य देवताओं में भैरो बाबा भूमिया बाबा और हीरा बाबा की पूजा करते हैं
मोगिया जनजाति न्याय व्यवस्था
इनकी अपनी खुद की समाजिक नियमावली होती है उसी के अनुसार अपने संस्कार और संस्कृति का निर्वहन करते हैं कोर्ट कचेहरी के मुकदमो से दूर अपनी समाज के न्याय व्यवस्था को ज्यादा महत्त्व देते हैं इन जातियों में कहावतें जो विशिष्ट है
मोगिया जनजाति कि कहावत
जैसे बाजे बजांतरी कुल ना चढ़यि
तुजे क्या परी पराई अपनी निबेदाई
आल पताल जिव्हा मा है प्रथम काल
पावन बेड़ी पढ़ जाए तो जीव काल
दोस्तों मै आशा करता हु कि छत्तीसगढ़ मोगिया जनजाति कि विशेषता आपको अछि लगी होगी अगर अछि लगी हो तो हमें comment जरुर करे धन्यवाद्
Leave a Reply