छत्तीसगढ़ वन संसाधन

छत्तीसगढ़ वन संसाधन

छत्तीसगढ़ वन संसाधन वनस्पति वनों उपज  का समृद्ध भंडार है वनस्पति अभिमुल्या विस्तृत शब्द है जिसका मतलब मात्र वनों से नहीं है  तथा और अन्य प्रकृति द्वारा प्रदान अनेक प्रकार के वनस्पति से है अन्यथा विभिन्न प्रकार वनों उपज से है जैसे घांस वृक्ष झाड़ियाँ आदि को प्राकृतिक वनस्पति में सम्मिलित किया जाता है

छत्तीसगढ़ वन संसाधन का महत्व CHHATTISGARH VAN SANSADHAN KA MAHATV

वन उपज तथा वनस्पति किसी मुख्य विशेष दशा में विकसित होने वाले विभिनन प्रकार के पेड़ पौधो का समूह होता है जो की वन से आशया किसी वृहद् भू भाग में आच्छादित वन उपज पेड़ पौधों के विभिनन जातियों से है

हमारे पर्यावरण प्रकृति में कुछ इस प्रकार के विविधता  तापमान के कारण ही नहीं बल्कि इस मिटटी के प्रकार जमीन के अंदर स्थित पानी वर्षा की मात्र एवं अवधि तथा उसकी वार्षिक वितरण अर्ध्रता को दोहन भी प्रत्येक रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जाती है

छत्तीसगढ़ की वनस्पतियों के दृष्टि से सम्पन राज्य है छत्तीसगढ़ वन संसाधन देश की अनेक राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ में वन संसाधन अधिक है असम के बाद देश में सर्वाधिक वनछेत्र छात्तिश्गढ़ में ही है राज्य में 59,772 वर्ग किलोमीटर और कुल छेत्र की संख्या 43.85 %  जमीन वनों से ढकी हुई हैयदि पहले के वर्षो में वर्षो के अंतर्गत जमीं कम हुई है आने वाले समय में वनस्पति रज्य की महत्वपूर्ण सम्पदा है प्रकृति वनस्पति के वितरण में यहाँ की मानसून जलवायु महत्वपूर्ण कारक है

तापमान और वर्षा भी वर्गों के विकाश में अधिक सहायक है देश प्रदेश के वर्गों में उष्णकटिबंधीय पर्णपातीय तथा उष्णकतिबधीय शुष्क पर्णपतिय में बंटा गया है जैव भौगोलिक दृष्टिकोण के माध्यम से छत्तीसगढ़ राज्य दक्कन जैव छेत्र में सामिल है छत्तीसगढ़ राज्य में आरक्षित है और राज्य में आरक्षित वन तथा संरक्षित वन अन्यथा अवर्गीकृत वन है और इन वनों में मुख्यतः बाबुल साल महुआ तेंदू महुआ और अंजन आदि हर्रा के वृक्ष है यह एक अच्छी लकड़ी के स्त्रोत है

वनों का वर्गीकृत CLASSIFIECATION OF FORESTS

छत्तीसगढ़ के वन वृक्ष उश्न्कतिबंधीय तथा अर्ध प्रणाली के अन्दर आते है तथा यहाँ के वन ग्रीष्म कम के शुरुआती में अपने पत्ते झाड़ने तथा गिराने लगते है यहाँ के वन में  पर्याप्त विविधता देखने को मिलती है अन्य प्रदेश में वनों का वर्गी कारण प्रमुख एवं प्रसस्कीय प्रजाति के आधार पर किया जाता है

संरक्षित वन PROTECTED FORESTS 

कुछ ऐसे वन जो प्रसस्कीय देख रेख में सार्वजनिक गलत उपयोग होते है तथा इन वनों से स्थानीय व्यक्ति वन उत्पादन संग्रहण घरेलु उपयोग पहुचारण लकड़ी प्राप्त करने हेतु स्वतंत्र रहते है प्रशासकीय की देख रेख में उदाशीनता के कारण वनों का अत्यधिक दोहन हो रहा है

जिससे कारण कुछ ऐसे वनों का छेत्रफल में कमी होती जा रही हैप्रदेश के 48.14% छेत्रफल में संरक्षित वनों वृक्ष का विस्तार है इन वनों की छेत्रफल की को बढाने अथवा वृद्धि हेतु भारत सरकार को सार्थक पहले करने की  आवश्यकता है |

अवर्गीकृत वन  UNCLASSIFIED FORESTS

अव्रगिकृत वन प्रदेश के कुल वनछेत्र के 9954 वर्ग किलोमीटर वर्गों का विस्तार है और इस प्रकार के वनों से सरकार को कोई प्रतिबन्ध नहीं है  लकड़ी काटने हेतु पशुचारण इस प्रकार के वन खुले होते है इन वनों को ठेके का भी प्रबंध करने का प्रावधान है हमारे भौगोलिक आधार पर विभिन्न प्रकार के छत्तीसगढ़ वन संसाधन पाए जाते है

उत्तरी पूर्व बिलासपुर के लगभग आधे छेत्र में इस वनों का विस्तार है सूखे पर्णपाती उष्ण कटिबंधीय ये वन जशपुर रायगढ़ उत्तरी बिलासपुर रायपुर तथा धमतरी मैनपाट छेत्र में पाए जाते है शेष सभी जगह पर इन दोनों प्रकार के वन पाए जाते है जिसका उदाहरण कुछ इस  प्रकार है

 साल वन के अनेक प्रकार यहाँ पाए जाते है 

तथा इसकी उचाई 12 से 30 मीटर तक की होती है और प्रदेश में अधिक वर्षा होने वाले  जगहो पर इन वनों का विस्तार अधिक होता है इस वन की आर्थिक दृष्टी से यह बहुत महत्वपूर्ण है तथा इसकी लकड़ी अत्यधिक कठोर मजबूत और टिकाऊ होती है जिससे रेलवे स्लीपर बनाया जाता है राज्य के कुल वन छेत्र में लगभग 45% जगह पर साल वन मिलते है रायगढ़ ,कोरिया , जशपुर , बिलासपुर ,बस्तर तथा सरगुजा जैसे जिलो में साल वृक्ष अत्यधिक पाया जाता है

रायगढ़ के जिले में धरमंजयगढ़ में छाल और लैलूंगा रेजो में पत्थर तथा ढलानों में साल वृक्ष पाए जाते है इस वृक्ष की लम्बाई 12से 15 मीटर तक की होती है यहाँ वर्षा की कमी के कारण अत्यधिक साल वृक्ष सुख रहे है साल वृक्ष की कटाई भी बढ़ गयी है जिसके कारण इसके छेत्रफल में काफी कमी आ रही है

बिलासपुर जिलो के समतल मैदानों इन घाटियों के ढलानों पर साल वन बहुतायत पाए जाते है जशपुर में भी साल वन कटाई के शिकार में आ चुके है बिलासपुर में बराबर मैदानों पर हलके फुल्के ढलानों पर साल वृक्ष का विस्तार है लोरमी बलौदा कोटा आदि इन विकाश्खंड में साल वृक्ष के विरल  वन पाए जाते है यहाँ की वृक्षों की  लम्बाई दस से तेरा मीटर तक की होती है

रायपुर में गरियाबंद जिले में बिर्गुरी,देवभोग,रीझ्गाँव,पैरी,तथा सीतानदी छेत्र में वनों का मुख्या विस्तार है उत्तर रायपुर संभाग के अंतरगत सोनाखान छेत्र में जोक नदी के आस पास भी साल वृक्ष पाए जाते है सरगुजा जिले में उच्च प्रकार के साल वन पाए जाते है तथा सरगुजा जिले के साल वृक्ष 2.5 मीटर और 30 मीटर तक के साल वन पाए जाते है1

सूरजपुर,लखनऊपुर ,प्रतापपुर ,के विकासखंड में मुक्य दोमट मिटटी वाले स्थान पर साल वृक्षों का विस्तार पाया जाता है कोरिया के वन मंडल में लगभग 80% छेत्र ने साल वन पाया जाता है पर्वत पठारों वाले भागो में एवं पहाड़ी ढलानों पर जिसकी उचाई कम होती है वहा भी साल वृक्ष अधिक पाई जाती है

इस जगह के जलोढ़ मिटटी वाले स्थान पर 40 मीटर तक ऊँचे और 2.7 मीटर तक के मोटे मोटे साल वृक्ष पाए जाते है विभाजित बस्तर जिसमे जगदलपुर और कांकेर दोनों मिले है और इन दोनों जिलो को साल वन की अधिकता के कारण इस जगह को साल वृक्ष के नाम से भी जाना जाता है और ये प्रसिद्ध है

तो दोस्तों हमारा आर्टिकल अब समाप्त होता है अगर आप को लगे की इस पोस्ट में कुछ गलत लगे तो हमें कमेट के जरिये जरुर बताइए हम उसे आप के लिए सुधार करेंगे

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