यादव वंश का इतिहास History of Yadav Dynasty

यादव वंश का इतिहास

आज हम एक ऐसे वंश के बारे में बात करने जा रहे हैं जिसे सिर्फ वंश कहना उचित नहीं है बल्कि इसे एक संस्कृति कहना चाहिए यादवो का इतिहास भगवान विष्णु ऋषि अत्रि चन्द्रमा बुध पुरवा इत्यादि से संबंधित है इसका उल्लेख वेदों और प्राणों में मिलता है यूरोपीय वंशजों का स्थान ग्रीको लोगों का है वाही भारतीय इतिहास में यादवों का भी है

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यादव वंश का इतिहास History of Yadav Dynasty

यादव हमेशा से ही पराक्रामी एवं स्वतंत्रता प्रिय जाती रही है यादवो को यदुवंशी और अहीर के नाम से भी जाना जाता है यादव यदुवंशी का अर्थ है महाराज यदु के वंशज इन्हीं से यादव वंश की स्थापना हुई और अहीर शब्द संस्कृत के अभीर शब्द पिछड़ा हुआ शब्द है

हरियाणा का नाम कैसे पड़ा

इसका अर्थ है निडर यादव समाज के 423 से भी ज्यादा उपनाम है और इनमें से ज्यादातर उत्तर भारत के अहीर और यादव से जाने जाते हैं और दिल्ली हरियाणा राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में इन्हें राव साहब से भी बुलाया जाता है हरियाणा राज्य का नाम अहिरो के नाम पर ही है हरी प्लस आना से मिलकर बनता है हरियाणा हरी का अर्थ है भगवान विष्णु और भगवान श्रीकृष्ण और आना का अर्थ है वहाँ आए तो महाभारत के टाइम भगवान श्रीकृष्ण जो विष्णु भगवान का स्वरूप है

यहाँ आए थे तो इस प्रकार इस राज्य का नाम उन्हीं के नाम पर है और भगवान कृष्ण ने अहीर वंश में जन्म लिया था तो पहले इसे अभी प्लस आना अभिराना भी बोला जाता था और समय के साथ भाषा के बदलाव के कारण अहिराना और आखिर में हरियाणा हो गया भारत की कुल आबादी का 22% भाग यादव वंश का है भारत का 12.7% व्यापार यादव समाज के लोग करते हैं

 श्री-कृष्णा-और-विष्णु-भगवान
श्री कृष्णा और विष्णु भगवान यादव डायनेस्टी

क्षत्रिय वर्ग

भारत के अलावा नेपाल श्रीलंका पाकिस्तान बांग्लादेश रशिया और मध्य पूर्व में या तो मौजूद हैं और इसलिए इन्हें दुनिया के इतिहास की सबसे बड़ी जाति भी कहा जाता है देश की आबादी के अलावा यादव ने राजनीतिक अर्थशास्त्र इतिहास विज्ञान सैन्य खगोल विज्ञान और अध्यात्म में एक बहुत बड़ा योगदान दिया है यादव को हिंदू धर्म में क्षत्रिय वर्ग की श्रेणी प्रदान की गई है

और इस वंश में अनेक शूरवीर एवं चक्रवर्ती राजाओं ने जन्म लिया जिन्होंने अपनी बुद्धि बल और कौशल से अनेक साम्राज्य की स्थापना कर भारत और नेपाल में शासन किया उनमें से कुछ इस प्रकार है यादव डायनेस्टी जिसे सिवनी यादव डायनेस्टी से जाना जाता है एक शाही भारतीय डायनेस्टी से प्रसिद्ध है यादव वंश का इतिहास

जिसने अपने चरम पर चुन्गाबदरा नर्मदा नदी में फैले एक साम्राज्य में सासन किया जिसमे वर्तमान में उत्तर कर्नाटक और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्से शामिल हैं यादव वंश की राजधानी देव गिरी थी जिसे आज वर्तमान में महाराष्ट्र में दौलताबाद से जाना जाता है यादवों की राजा ही मैसूर के महान राज्य और नेपाल के शासक बने उत्तर कर्नाटक और मध्यप्रदेश के अलावा इन्होंने पूरे महाराष्ट्र पर अपना शासन स्थापित किया

प्राचीन धरोहर 

जम्मू कश्मीर के आप हिसार में भी यादव वंश का ही शासन था इसका राज्य जिला व चिनाब नदियों के मध्य की पहाड़ीयों में स्थापित था जिसे वर्तमान में जम्मू कश्मीर में पुंछ राजौरी और नौशेरा से जाना जाता है यादवो के दर्जनों से ज्यादा साम्राज्यों और अनेक सदियों के शासन के अंश आज भी मौजूद हैं और उनके द्वारा निर्मित प्राचीन धरोहर और साम्राज्यों के अवशेष आज तक भी मिलते रहते हैं

दक्षिण भारत के कई प्राचीन मंदिरों का निर्माण यादव राजाओं ने ही किया यादव के राजवंश का विक्रमशिला और नालंदा विश्वविद्यालय के उत्कर्ष में एक बहुत बड़ा योगदान है यादव योग और उनकी अजय नारायण सेनाओ ने महाभारत के युद्ध में अपना ज़ोर शोर से प्रदर्शन किया था और प्राचीन समय में तो कई राज्यों के सेनापति के पद सिर्फ अहिरो के लिए ही आरक्षित थे

आइए अब आपको यादवो के सौर्य से परिपूर्ण या गौरव के इतिहास के कुछ पन्नो से भी रूबारू कराते हैं आजादी के आंदोलन से लेकर आजादी के पश्चात तक के सैन्य व असैन्य यूरो में यादवो ने अपने शौर्य की गाथा रची और उनमें से कई तो मातृभूमि की बलिदेवी पर शहीद हो गए संत 1739 में ईस्ट इंडिया कंपनी के विरुद्ध सर्वप्रथम खटलापुरा और तमिलनाडु की यात्रा वीर भाग मोंटू कौन ने विद्रोह का झंडा उठाया और पहले स्वतंत्रता सेनानी के गौरव के साथ युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए

राव गोपाल देव

सन 1848 में तिवाड़ी हरियाणा के राव गोपाल देव जिन्होंने अकेले ही 28 अंग्रेजों को मार गिराकर या तो पराक्रम का परिचय दिया 10 मई 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में यादवों ने प्रमुख भूमिका निभाई और रेवाड़ी के रामलाल ने दिल्ली पर धावा बोलने वाले क्रांतिकारियों का नेतृत्व कर आंदोलन को मजबूत किया 18 नवंबर 1857 को स्वतंत्रता क्रांति के प्रमुख नायक रेवाड़ी नरेश राजा राव तुलाराम ने नारनौल हरियाणा में जनरल गोरान और उनकी सेना को जमकर टक्कर दी

और इसी युद्ध के दौरान राम कृष्ण गोपाल ने कोरल के हाथी पर अपने घोड़े से आक्रमण कर कोरल का असर तलवार से काटकर अलग कर दिया और आंदोलन को गति प्रदान की 18 नवंबर 1962 में भारतीय चीन युद्ध के दौरान यादव सैनिकों को पराक्रम व बलिदान भारत में आज तक सरन्य माना जाता है

जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर कास्ट के मान सम्मान और गौरव को बढ़ाया और तब विश्व इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी विरुद्ध सैनिक देश ने दूसरे देश के सैनिकों के शौर्य की तारीफ की हो 13 कुमाऊं रेजिमेंट इसका दूसरा नाम वीर अहीर भी है 114 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे

उन्होंने चीन के 300 से भी ज्यादा सैनिकों को मार गिराया था और ये द्विराम के लिए मजबूर कर दिया था और इन्हीं यादव वीरों की याद और सम्मान में त्रिशूल से 12 किलोमीटर की दूरी पर एक स्मारक बनाया गया जिसमें सभी वीर सैनिकों के नाम अंकित किए गए और रेजांगला में ही आखिर धाम की स्थापना भी की गयी

 यादव-डायनेस्टी
यादव-डायनेस्टी

दोस्तों आप जानते हैं यादव वंश की उत्पत्ति और भगवान श्रीकृष्ण के यादव कुल में जन्म के बारे में संसार के महानतम वंशोमें से एक यादव वंश बहुत विशाल है अन्य जातीय अधिकतम मध्यकाल में अपना लेखन पा सकी लेकिन यहाँ तक जाति इस मायने में वैदिक जाती है केन के वंशो का उल्लेखन वेदों और पुराने में मिलता है विभिन्न धार्मिक और ऐतिहासिक ग्रंथों के अध्ययन के आधार पर चलें इसे जानते हैं भगवान ब्रह्मा के 10 मानस पुत्र हुए

इनमें से एक है ऋषि अत्रि ऋषि अत्रि से चन्द्रमा का जन्म हुआ और चंद्रमा से चंद्रवंश चला और इसलिए यादव को चंद्रवंशी क्षत्रिय भी कहा जाता है चन्द्रमा ने बृहस्पति की पत्नी तारा से विवाह किया जिससे उन्हें पुतनाम का पुत्र उत्पन्न हुआ बुध से पुरुरवा और पुरुरवा से आयु और आयु के पुत्र हुए नहुष के छह पुत्रों में बड़े पुत्र यदि सन्यासी हो गए हैं

इसलिए उनके दूसरे पुत्र ययाति राजा हुए महाराज ययाति की दो रानियों से उन्हें पांच पुत्र से जिन्होंने संपूर्ण धरती पर राज़ किया और अपने कुल का दूर दूर तक विस्तार किया ययाति के पुत्रों से ही समवंश चले इन पांच पुत्रों में से राजकुमार पूर्व में आगे चलकर पांडव हुए थे

11 पीढ़ी के 20 पीढ़ी के बाद

और उनके सबसे बड़े पुत्र महाराज यदु से यादव वंश की स्थापना हुई भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भी इसी वंश में हुआ यदु के चार पुत्रों में से उनके दूसरे पुत्र राजकुमार क्रोस्था ने राज्य का अधिग्रहण किया और पहली यदुवंशी शासक बन गए जिनकी करीब 11 पीढ़ी के बाद आए राजा वित्रभ ने दक्षिणी वित्रभ राज्य की स्थापना की और वित्रभ के 3 पुत्रों में वित्रभ के बाद कृत राजा बने और फिर कृत के करीब 20 पीढ़ी के बाद आए राजा सातवत इनके छह पुत्रों में से दो ने नेतृत्व किया

अंधक और वृसनी अंधक वंश में आगे चलकर कंश का जन्म हुआ और वृशनी में भगवान श्री कृष्ण ने अवतार लिया क्रिशनी से देवमित देवमित और सूजन से वासुदेव का जन्म हुआ वासुदेव से श्री कृष्ण का जब जब धर्म ने अधर्म को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया है

तब तक भगवान ने अवतार लिया है श्रीकृष्ण के रूप में स्वयं भगवान विष्णु ने मनुष्य के रूप में अवतार लिया था और श्री कृष्ण भगवान विष्णु के सबसे शक्तिशाली अवतारों में से एक है यादव समुदाय का एक गौरवमयी इतिहास और विरासत है और जब जब जरुरत पड़ी है वह वीरता एवं शौर्य की गाथा रचते रहे हैं

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