कोटा शहर को शिक्षा नगरी के रूप में जाना जाता है यह शहर राजस्थान का प्रमुख औद्योगिक शहर है यह खूबसूरत शहर चंबल नदी के तट पर बसा हुआ है तो चलिए इस लेख में हम जानेंगे कोटा का इतिहास राजा कोटिया भील के बारे में
कोटा शहर का इतिहास
इस शहर का इतिहास राजा कोटिया भील उम्मेद सिंह समर सिंह और जेत सिंह आदि से जुड़ा हुआ है आज से लगभग 800 वर्ष पूर्व उस समय कोटा से लेकर मांडलिया और आगे मनोहर धारा तक भील राजाओं का शासन था भील अपने आप में एक महाशक्ति के रूप में विद्यमान थे सन् 1241 स्थान बूंदी उस दौरान बूंदी का शासन मीणाओ के पास था
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तत्कालीन समय में जेता मीणा बूंदी के राजा थे वहीं कोटा का शासन भील शासकों के पास था यह दोनों ठिकाने भील और मीणाओं की वीरता के नाम से जाने जाते थे सन् 1241 में हाड़ाओं के राजा देवी सिंह ने बूंदी पर आक्रमण किया और बूंदी पर अधिकार कर लिया मीणाओं के हाथों से अब बूंदी निकल गई कुछ मीणा कोटा में आकर बस गये
भीलों ने रखी अकेलगढ़ की नींव
इधर कोटा में लंबे समय से भीलों का राजपाट स्थापित था भीलों ने चंबल नदी किनारे अकेलगढ़ किले की नींव रखी यह एक विशाल किला था जो करीब चार किलोमीटर से भी ज्यादा क्षेत्र में फैला हुआ था भील राजा का नाम रघुवा था बहादुर और शक्तिशाली भील सरदारों को कोटिया की उपाधि से नवाजा जाता था और रघुवा भील की बहादुरी और शक्ति को देखते हुए उन्हें कोटिया भील की उपाधि से नवाजा गया है कोटिया भील के किले का नाम अकेलगढ़ था
कोटिया भील शस्त्रगार
इसी किले का एक हिस्सा दौलतगढ़ का किला रहा जो अपनी भव्यता और सुंदरता के लिए प्रसिद्ध था राजा कोटिया भील ने अकेलगढ़ किले में शस्त्रगार बनवाया था जिसमें सेना के लिए हथियार उपलब्ध करवाएं इतना ही नहीं कोटिया भील अपने शस्त्रागार में जानवरों को भी युद्ध के लिए प्रशिक्षण दिलवाया ताकि युद्ध के दौरान वे जानवरों का प्रयोग कर सकें इस तरह से राजा कोटिया भील ने एक प्रकार से राज्य की सुरक्षा का इंतजाम कर रखा था
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चंबल के एक किनारे राजा कोटिया भील अपने नगर के राजा थे तो चंबल के दूसरी तरफ बूंदी का विस्तार था जहा हांड़ा राजा समर सिंह का शासन था राजा कोटिया भील और उम्मेद सिंह के संबंध अच्छे थे दोनों में अच्छी दोस्ती थी बूंदी का शासक मीणाओ से हांड़ाओ ने छीन लिया इसलिए कोटिया भील बूंदी के हांड़ाओ के खिलाफ थे अक्सर उनके सेना और बूंदी की सेना में झगड़ा होता रहता था
कोटिया भील ने बनाई बूंदी पर आक्रमण की योजना
राजा कोटिया भील ने अपने निकटवर्ती राज्य बूंदी पर आक्रमण करने की योजना बनाई कोटिया भील ने एक मजबूत सेना का गठन किया नए नए हथियारों का निर्माण करवाया उन्होंने अपनी सेना में जानवरों को भी प्रशिक्षण देकर सम्मलीत किया उन्होंने एक बेहतर रणनीति बनाई और अपनी सेना को साथ लेकर बूंदी पर आक्रमण कर दिया
बूंदी और कोटा सेनाओं में युद्ध
बूंदी और कोटा की सेनाओं में भयानक युद्ध हुआ उनमें से कोई भी पीछे नहीं हटना चाहते थे दोनों सेनाओं के मध्य भयानक युद्ध हुआ लेकिन कोटिया भील अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाए लेकिन उन्होंने बूंदी के हांड़ाओ को बेहद नुकसान पहुंचाए बूंदी कोटिया भील के हमले से कांप उठा राजा कोटिया भील ने बूंदी के राजा समर सिंह के नाक में दम कर दिया
कोटिया भील के खिलाफ षड्यंत्र
अब राजा समर सिंह ने एक योजना बनाई युद्ध के मैदान में कोटिया भील ने बूंदी की कई सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था जिससे बूंदी की सेना कम पड़ गई थी है तब राजा समर सिंह ने केतु के राजा की पुत्री से अपने बेटे जेत सिंह की शादी करवाई ताकि दोनों मिलकर राजा कोटिया भील को हरा सके लेकिन उन्होंने कोटिया भील से युद्ध जीतने के लिए युद्ध का मैदान का चुनाव नहीं किया बल्कि एक सद्यंत्र बनाया राजा समर सिंह ने केतु के राजा के साथ मिलकर एक योजना बनाई उन्होंने अपने राज्य में राजा कोटिया भील और उनके सैनिकों को दावत पर बुलाया भील राजा को लगा कि बूंदी के राजा उनकी तरफ मित्रता का हाथ बढ़ाना चाहते हैं भील राजा और उनकी सेना बड़े ही हर्षोल्लास के साथ समर सिंह के यहां दावत के लिए पहुंचे
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वहा समर सिंह जेत सिंह और केतु के राजा ने भील राजा और उनके सेना का स्वागत किया समर सिंह के साथ सालार गाजी भी था बाड़े में भीलों को खूब शराब पिलाई गई भील नशे में धुत्त हो गए बहुत समय तक वे मदिरापान करते रहे उन्हें नहीं पता था कि वे समर सिंह के षड्यंत्र का शिकार हो रहे हैं दरअसल जिस जगह भील मदिरापान कर रहे थे उस जगह के नीचे बारूद लगाया गया था समर सिंह ने बारूद में आग लगा दी जिससे भयानक विस्फोट हुआ और कई भील उसी विस्फोट में मारे गए राजा कोटिया भील हक्के-बक्के रह गए उनके मुंह से निकला संयंत्र उन्होंने बचे हुए सैनिकों को एकजुट किया
कोटिया भील की मृत्यु कैसे हुई
इधर हांड़ाओ ने भीलों पर आक्रमण कर दिया एक तो भील पहले ही नशे में धुत थे ऊपर से बारूद की विस्फोट से घायल भी थे और अब हांड़ाओ ने उनपर आक्रमण भी कर दिया था दोनों सेनाओं के मध्य भयानक युद्ध हुआ राजा कोटिया भील से युद्ध करने सालार गाजी मैदान में उतरा लेकिन सालार गाजी को कोटिया भील के सामने टिक नहीं पाया और वो कोटिया भील के तलवार से मारा गया तभी जेत सिंह ने कोटिया भील का सर कलम कर दिया लेकिन बहादुर कोटिया भील का अंग कुछ समय बिना सिर हाथ पे तलवार चलते रहे तब जेत सिंह ने उनके कमर के ऊपर का हिस्सा काट दिया उनका शरीर तीन भागों में बंट गया और इस प्रकार राजा कोटिया भील मारा गया
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समर सिंह और जेत सिंह ने अब कोटा पर अपना अधिकार कर लिया और कोटा भी बूंदी के अधीन हो गया वर्तमान समय में कोटा में अकेलगढ़ और दौलतगढ़ किलो को देखा जा सकता है अकेलगढ़ किले से एक शिलालेख प्राप्त हुआ यदि उस शिला लेख को पढ़ने में सफलता हासिल हो जाए तो राजा कोटिया भील के बारे में अत्यधिक जानकारी प्राप्ति हो सकती है वर्तमान में कोटागढ़ पैलेस में राजा कोटिया भील की याद में उनके शरीर के तीन हिस्से की मूर्तियां स्थापित हैं कोटा में राजा कोटिया भील की मंदिर स्थापित हैं जहा कोटिया भील उनका परिवार और सैनिकों की मूर्तियां स्थापित हैं राजा कोटिया भील एक बहादुर और शक्तिशाली राजा थे तभी तो उन्हें मारने के लिए एक षड्यंत्र रचा गया 1631 में कोटा को बादशाह शाहजहां ने राज्य घोषित कर दिया 1631 लेकर 1947 तक कोटा में कुल 17 राजा हुए थे
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