भीलवाड़ा का इतिहास राजस्थान का ऐतिहासिक शहर

भीलवाड़ा का इतिहास

भीलवाड़ा द सिटी ऑफ टैक्स्टाइल यहाँ की सूती वस्त्र पूरे विश्व में प्रसिद्ध है यहाँ से माइनिंग के दौरान निकलने वाला अभ्रक पूरी दुनिया में सप्लाई किया जाता है यहाँ की चित्रकला पूरे वर्ल्ड में फेमस है 10,455 वर्ग किलोमीटर में भीलवाड़ा जिला फैला हुआ है

चित्तौड़गढ़ अजमेर राजसमंद इन सभी के बीच घिरा हुआ भीलवाड़ा जिला है वही अंतर्राज्यीय की बात करेंअंतर्राज्यीय सीमा मध्यप्रदेश के साथ सबसे कम सीमा रेखा बनाने वाला जिला भी भीलवाड़ा है

भीलवाड़ा का इतिहास
भीलवाड़ा का इतिहास राजस्थान का एतिहासिक शहर

मध्यप्रदेश के साथ सबसे ज्यादा सीमा रेखा बनाने वाला जिला झालावाड़ है इस बात का अब ध्यान रखें कि भीलवाड़ा जिला में मौजूद बनेरा गांव जहाँ पे नगन  मुरती जिसके कारण इसे भीलवाड़ा का खजुराहो भी कहा जाता है फिर हैं जहाज पूरा जहाँ महाभारत कालीन या अवशेष मिले हैं एक एक उसके बाद मांदलगढ़ दुर्ग जहाँ पर मान सिंह के द्वारा हल्दीघाटी युद्ध की योजना बनाई गई थी इस भीलवाड़ा जिला की आकृति आयताकार है और यहाँ अब रग से बने हुए हैं ईंटें तापरोधी होते हैंतथा इस भीलवाड़ा जिले को तालाबों की नगरी भी कहा जाता है

2011 के अनुसार भीलवाड़ा का लिंगानुपात 973 है अगर यही बात करें साक्षात दर जो की 61.36% है यहाँ का घनत्व 230 है और यहाँ की जनसंख्या है 24,08,523 यहाँ पर भीलों की बस्ती यह कर सकते हैं कि भील ज्यादा होने के कारण इस जगह को भीलवाड़ा कहा जाता है इसके नाम का एक और यह भी है कि या मेवाड़ के टकसाल स्थापित की और यहाँ बिलाड़ी सिक्के बनाए जाते थे जीस के कारण भी यहाँ का नाम भीलवाड़ा पड़ा था

पर यहाँ पर कोई रियासत नहीं था 1631 ईस्वी.को शाहजहाँ के सहयोग से सुजानसिंह के द्वारा जीस रियासत की स्थापना की ओह सहजपुरा थी शाहपुरा प्रजा मंडल की स्थापना 1930 ईस्वी में हुई थी तथा इसके चला थास्थापक रमेशचंद्र थे

बिजौलिया किसान अंदोलन

यह आंदोलन 1897 से शुरू होकर 1941 तक चला था यह भारत का सबसे लंबा और हिंसात्मक आंदोलन था इसमें किसी भी प्रकार का हिस्सा नहीं हुआ था इस आंदोलन की शुरुआत होती है गिरधारीपुरा गांव के गंगाराम के यहाँ से गंगाराम किसान था ये धाकड़ किसान थेयह गंगाराम किसान के पिता मृत्यु के समय यह निर्णय लिया गया है कि निम्न प्रकार के कर टैक्स जो लगाया जाता है उससे उनको मुक्ति पाना है तथा इस घर से मुक्ति पाने के लिए बिजौलिया किसान आंदोलन की शुरुआत की गई थी

ठाकुर द्वारा लगाया कर

टैक्स बिजौलिया के ठाकुर के द्वारा लगाया तथा उसके बाद 1996 में नए राव पृथ्वी सिंह ने किसानों पर तलवार बधाई के नाम पर एक और कर लगा दिया था बिचौलिया के ठाकुर मुख्यता भरतपुर के होते थे किसानों ने मेवाड़ के राणा को शिकायत करने के लिए यह फैसला लिया की इसके खिलाफ़ आंदोलन करेंगे जहाँ दो व्यक्ति गैर हुए थे ठाकुरी पटेल और नानकी पटेल यह मेवाड़ गए तो इनकी कोई सुनवाई नहीं हुई तथा इस पर कोई एक्शन नहीं लिया गया

आखिर जो कर लगाया जाता था इससे किसान कर्जे में डूब रहे थे क्योंकि ठाकुरों के यहाँ नया मकान बन रहा था किसान कोई भी हमदानी के लिए काम क्यों नहीं कर रहे चाहे जो भी काम करें उन किसानों को कर देना ही पड़ता था उसी समय 1903 में कृष्णा सिंह के द्वारा एक और कर लगाया गया था

युद्ध के बाद राणा तथा कुतुबुद्दीन मिल गए

बिजौलिया सिन्हा ने 1170 ईस्वी में पार्श्वनाथ जैन मंदिर सवा किलो लाख के द्वारा शुद्धिकरण करवाया गयाबिजौलिया शिलालेख में सांभर झील बनाने वाले वासुदेव चौहान थे बेलवाड़ा के अंदर बदनूर का युद्ध भी हुआ था यहाँ पर एक तरफ थे राणा कुम्भा और दूसरी तरफ से इन को हराने के लिए मर हूद खिलजी प्रथम और कुतुबुद्दीन शाह जो दोनों एक हो गए थे

इन दोनों को राणा कुम्भा ने हरा दिया था तथा इसके बाद वहाँ एक मंदिर बनाया गया कुशाल माता का मंदिर जो कि आज भी भीलवाड़ा में स्थित है एक तरफ वही एक भीलवाड़ा का इंसान जिसे जाना जाता है बहरूपिया कला के लिए यह एक अंतर्राष्ट्रीय उच्च स्तर का कलाकार और इसका नाम था जानकी लाल तथा यहाँ का एक फेमस मंदिर जिसे 32 खंभों की छतरी के नाम से भी जाना जाता है तथा इस को न्याय की छतरी भी कहा जाता है

और इसको जगन्नाथ की छतरी भी कही जाती है सर यहाँ पर आप घूमने जाते हो तो यहाँ पर एक सबसे सुंदर नजारा है जो एक शिवलिंग है जो आपको मोहित कर देगा तथा भीलवाड़ा का फड़ चित्रण भी पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं भीलवाड़ा फॉर चित्रण के नाम से भी जाना जाता है तथा इसका जनक श्री लाल जोशी को माना जाता फड़ का मतलब कपड़ो में चित्र करना फड़ कहलाता है

भीलवाड़ा के त्योहार

  • नवरात्रि

नवरात्रि एक ऐसा त्यौहार है जिसे सभी राज्यों में मनाया जाता है तथा इस त्योहार को भीलवाड़ा में बड़ी धूम धाम तथा उत्साह के साथ मनाया जाता था नवरात्रि शब्द असल में यह एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ नव तथा रातें नवरातों की दिन खत्म होने के बाद दुर्गादेवी की नौ रूपों का पूजन किया जाता है नवरात्रि पर्व मार्च अप्रैल के एक महीने में मनाया जाता है से और नवरात्रि खत्म होने के बाद दसवें दिन रावण को जलाकर दशहरा के रूप में त्योहार मनाया जाता है

  • नाहर नृत्य

यह भीलवाड़ा जिले का मुख्य त्योहार रंग तेरस है इस त्योहार को चैत्र महीने के से रात्रि पखवाड़े के तेरहवें दिन के बंद मनाया जाता है इस पर्व को रंग त्रयोदशी के नाम से भी कहा जाता है इस त्योहार को भीलवाड़ा जिले में होली के जैसे मनाया जाता है लोगों के मन में भाई चारे की भावना समर्पित की जाती है गुजरात हिमाचल प्रदेश उत्तर प्रदेश और बिहार मैं रंग तेरस यह त्यौहार को भी मनाया जाता है किसान धरती माता का कोटि कोटि नमन करते हैं इस त्यौहार पर महिलाएं भूखी रहकर इस त्योहार में उपवास रखती है और संबंधित अनुष्ठानों का पालन करते हैं

  • फूलडोल पर्व

महोत्सव भीलवाड़ा में फूलडोल पर्व महोत्सव को महत्त्व श्रेणी में रखा गया है हर साल भीलवाड़ा में इसके अतिरिक्त एक मेला आयोजित किया जाता है जो पांच दिनों तक निरंतर चलते रहते है यहाँ प्रसिद्ध राम मंदिर में होली के बाद मनाया जाता है इस त्योहार को शाहपुरा क्षेत्र में यह राममंदिर स्थित है यहाँ इस मेले के शुरुआत तो थे ही दूर दूर से लोग घूमने आते हैं

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