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औरंगजेब का जीवन परिचय
हम आपको अपने इस आर्टिकल में औरंगजेब का जीवन परिचय इतिहास तथा अपने शासन काल में कितने मंदिर तोड़े ? परिवाहिक जीवन और औरंगजेब से सम्बंधित उन सभी घटनाओ को प्रदर्शित करेंगे जो अब तक घटित हुआ है ?

औरंगजेब का पूरा नाम अब्दुल मुज़फ्फर मुहीउद्दीन मोहम्मद आलमगीर था उनका जन्म सन 1618 14 अक्टूबर को गुजरात में दाहोद नामक स्थान में हुआ था इनके माता पिता का नाम औरंगाबादी महल झैनाबादी महल बेगम नवाब बाई तथा उदयपुरी महल था इनके करीब पांच बेटे थे जिनका नाम बहादुर शाह आजम साह मोहम्मद काम बॉक्स मोहम्मद सुल्तान सुल्तान मोहम्मद अकबर था नाम के आगे अपनी मर्जी से ही आलमगीर स्वयं लगाता था जिसका अर्थ है कि विश्व का विजेता औरंगजेब की चार पुत्रियां भी थी जेब अपने पिता के तीसरे पुत्र थे तथा इनके छे भाई थे
देश के एक महान मुगल शासक जो की औरंगजेब है भारत में अनेकों वर्षों तक शासन किये हैं वे मुगलकाल के शासन लिस्ट में आते हैं इन्होंने भारत में भी शासन किए हैं औरंगजेब 1658 से 1707 तक 49 साल तक लगभग शासन किए हैं अकबर के बाद औरंगजेब ही मुगल थे औरंगजेब में अत्याधिक लंबे समय तक राजा की गद्दी में विरासत किए हैं औरंगजेब कि मृत्यु के बाद मुगल एम्पायर पूरी तरह लड़खड़ा गया और समय के साथ धीरे धीरे यह मुगल एम्पायर गेम खत्म होने लगा था अपने पूर्वजों के काम को औरंगजेब ने बखूबी आगे बढ़ाया था जिसतरह अकबर
मेहनत और लगन से मुगल साम्राज्य को स्थापित किया था उसी तरह औरंगजेब ने भी साम्राज्य और समृद्ध प्रदान की आर मुगलों का साम्राज्य भारत में बढ़ाया था लेकिन इस कार्य के बाद औरंगजेब की प्रजा उन्हें पसंद नहीं करती थी जिसके कारण उसका व्यवहार औरंगजेब कट्टर पंथी अरे पक्के मुस्लिम की तारा कठोर किस्म के राजा थे हिंदू और मुस्लिम धर्म की एकता को अकबर ने बढ़ावा दिया था और अपने हिंदू प्रजा की जरूरतों का भी ध्यान रखते थे लेकिन औरंगजेब अखबार के जैसे बिलकुल भी नहीं थे – औरंगजेब का जीवन परिचय
औरंगजेब की प्रारंभिक जीवन
मुगलों के सम्राट औरंगजेब जो कि बाबर के खानदान से ताल्लुक रखते थे जो कि मुगल साम्राज्य के संस्थापक औरंगजेब के जन्म के समय ही बाल अवस्था में उनके पिताजी शाहजहाँ गुजरात के गवर्नर थे औरंगजेब के दादाजी जहांगीर के सहारे 9 साल की उम्र में हीलाहौर में बंधक बना लिया था जिसके कारण उनके पिता को एक युद्ध में परास्त होने के लिए कहा गया था 1628 में 2 साल के बाद शाहजहाँ को आग्रा का राजा घोषित किया गया
उसी समय औरंगजेब और उसके बड़े भाई सिकोह वापस जा कर अपने माता और पिता के साथ रहने लगे एक बार आग्रा में सन् 1933 में हाथियों ने आकस्मिक हमला कर दिया था जिसके कारण प्रजा में भगदड़ मच गई थी औरंगज़ेब ने अपनी पूरी दिखाते हुए अपनी जान को जोखिम में डालकर इन हाथियों से बड़ी वीरता के साथ मुकाबला कर उन हाथियों को खदेड़ निकाला था जिसको देख उनके पिता अत्यंत प्रसन्न हुए थे उसे सोने से तोल कर था
उत्तराधिकार युदध्
शाहजहाँ के बहुत से बैठे थे जिसके लिए उन्होंने एक राज्यपाल का पद दिया था शाहजी बंगाल के राज्यपाल थे गुजरात के थे और उसके बड़े पुत्र दारा जो अपने साम्राज्य की देखभाल तथा सिंहासन ग्रहण करने वाले थे जिसके कारण आग्रा में उनके पिता के साथ थे औरंगजेब भी शाहजहाँ के बेटे थे जिसने दक्कन अफगानिस्तान और गुजरात की कमान संभाली ओसामा या कहा जाना चाहिए था उस साल कंधार पर फ्रांसीसियों ने अपना कब्जा कर लिया था और उसी समय औरंगजेब को भेजना एक मजबूत संकेत था यह अपने शहर को वापस पाना चाहता था
लेकिन उसमें असफल रहे जिसके कारण उसे ढक्कन के राज्यपाल का पद मिलाएक समय की बात है करीब 1657 में शाहजहाँ गंभीर रूप से पीड़ित हो गए थे जिसके कारण उनके बेटे फूट फूटकर रोने लगे थे शाह शुजा ने बंगाल की आज़ादी की बात सुनाई लेकिन मुराद बख्श ने गुजरात के लिए भी कुछ ऐसा ही किया औरंगजेब में अपने पिता के विरुद्ध जाकर वारिस दारा शिकोह पर अक्रमण कर दिया जिसके पश्चात् आग्रा के लाल किले में जो बंदी बनाए गए पिता थे उसके ऊपर उसके बेटे की सेना का अधिकार हो गया इन्होंने आठ वर्ष अपने जीवन के अंतिम दिनों में ताजमहल के दृश्य के सहारे बिताए
औरंगजेब का जीवन परिचय
इनके बड़े भाई दारा जो की एक बलूच सरदार जिनका नाम मल्लिक था को उसी के साथ भागना पड़ा था लेकिन उसने इसे औरंगजेब के हाथों दे दिया था लेकिन उसने उसे पूरे शहर में अपमान करवाया और अपमान करवाने के पश्चात उसका सिर धड़ से अलग कर दिया गया जिसके बाद औरंगजेब की जो सेना थी उन्होंने गुजरात पर आक्रमण करके मुराद पक्ष को बंधक बना लिया और कुछ समय बाद उसे भी जान से मार डाला गया उनके भाइयों में से केवल एक ही उनके चंगुल से बच निकला था जिसका नाम शाह शुजा था लेकिन कुछ समय बाद वर्मा के जंगल में भी इनकी मृत्यु हो गई इन सभी के मृत्यु होने के अकेले औरंगजेब बचे थे जिसके कारण छठा मुगल बादशाह की गद्दी पर अधिकार हुआ
पारिवारिक आपसी विवाद
औरंगजेब अपनी सूझबूझ और अपनी चतुराई के कारण अपने पिता के चहीते बन गए थे औरंगजेब को 18 साल की कम उम्र में ही 1644 मैं दक्कन का सूबेदार घोषित किया गया और सूबेदार बनने के एक वॉर्स पर चात औरंगजेब में राजकुमारी दिलरास बानूबेगम नामक लड़की के साथ अपना निकाह तय किया
यह राजकुमारी औरंगजेब की सबसे पहली पत्नी थीं औरंगजेब की एक बहन भी थी जिसकी 1644 में अचानक से आकस्मिक मृत्यु हो गई यह घटना सुनकर भी औरंगजेब अपनी बहन के अंतिम संस्कार के लिए आग्रा नहीं गए वे निधन के कई हफ्तों बात गए यह पारिवारिक विवाद का एक मुख्य कारण बना इस बात से अनजान शाहजहाँ ने औरंगजेब को दक्कन के सूबेदार से वंचित कर दिया
औरंगजेब का शासनकाल
औरंगजेब संपूर्ण भारत को एक मुस्लिम देश बनाना चाहते थे इन्होंने हिंदू पर अनेक जुल्म किए और हिंदू पर्व को मनाना बंद करवा दिया गया औरंगज़ेब ने अपनी मुस्लिम समुदाय से अलग गैर मुस्लिमों से अतिरिक्त कर वसूलने लगे इन्होंने कश्मीर के इन लोगों पर अपना हुकुम जमकर जाति को मानने के लिए ज़ोर जबरदस्ती डालते थे सिख गुरु तेग बहादुर ने इस बात की जानकारी पाई तो कश्मीरी लोगों के पक्ष में आकर मुस्लिम धर्म मानने के विरुद्ध विरोध किया और इस विरोध के कारण औरंगजेब ने सिख गुरु तेग बहादुर को फांसी की सजा दे दी

औरंगजेब ने फिर से सती प्रथा की शुरूआत कर दिया इनके शासन काल में वैश्यावृति शराब मांस जैसे कार्य में वृद्धि बढ़ते गए इन बढ़ते हुए अत्याचारों को देखते मराठा साम्राज्य ने 1660 में औरंगजेब के खिलाफ़ विद्रोह कर दिया इसके बाद 1669 में जाट ने की 1672 में सतनामी तथा 1675 में सीख व 1669 में राजपूत ने भी इनके खिलाफ़ विद्रोह किया था 1686 में औरंगजेब के विरुद्ध ईस्ट इंडिया कंपनी ने भी विद्रोह किया था
औरंगजेब का जीवन परिचय
इनमें सेना को लड़ाई तो औरंगजेब में ने जीती थीं लेकिन जीत हमेशा के लिए नहीं होती एक के बाद एक लगातार विद्रोह होने के कारण मुगल साम्राज्य डगमगा गया जिसके कारण इसकी एकता टूटने लगी जिसमें इसकी कड़ी तपस्या भी कोई काम नहीं आया समय के साथ साथ साम्राज्य की कला संगीत नाच पर्व सभी दूर होते चले गए यहाँ बड़े बुजुर्गों की इज्जत तथा औरतो का लिहाज नहीं किया जाता था पूरा साम्राज्य रूढ़िवादी बातों के कारण दबते चला गया
औरंगजेब हमेशा युद्ध के खिलाफ़ चलाई करने में ही व्यस्त रहा करते थे अपने आप को कट्टर मुस्लिम मानते थे जिसके वजह से हिंदू राजा इसके विपरीत बहुत बड़े दुश्मन थे शिवाजी महाराज भी इनके विपरीत दुश्मन की सूची में प्रथम स्थान में आते थे शिव जी को भी औरंगजेब ने बंदी बना लिया था लेकिन वे उनकी कैद से भाग निकले शिवजी ने अपनी सेनाओं के साथ मिलकर औरंगजेब से युद्ध कविता रोह किया और औरंगजेब को परास्त कर दिया जिसके कारण मुगलों का शासन खत्म होने लगा और शिवाजी महाराज ने अपना शासन बढ़ाया
औरंगजेब की मृत्यु
महज 90 साल की उम्र में 3 मार्च 1707 में औरंगजेब ने अपने प्राण त्याग दिए इनकी मृत्यु के बाद इन्हें दौलताबाद में दफनाया गया जो की महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित है 50 साल के शासन में अपने लिए अत्यधिक विद्रोही बढ़ा लिए थे जिसके कारण इनकी मृत्यु के बाद मुगल साम्राज्य का अंत हो गया इनके पूर्वज मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर को माना जाता था

दिल्ली के लाल किले में मोती मस्जिद का निर्माण भी औरंगजेब नहीं करवाया था जब इनकी मृत्यु हुआ तो मुगल साम्राज्य अपने ही चरम सीमा पर था क्योंकि यहाँ अनेक कई विद्रोह भरे पड़े थे जो उनकी मान्यताओं के खिलाफ़ था उनके पहले बेटे बहादुर शाह के कारण मुगल साम्राज्य में धीरे धीरे कमी होने लगी और अंततः में बस ब्रिटिश के शासन के समस्त समाप्त हो गया
औरंगजेब का विरासत
इस विरासत का अंतिम मुगल सम्राट औरंगजेब को माना जाता था 50 वर्षों तक लगातार शासन किया कई अनेकों का कहना है कि इनके धार्मिक व्यवहार और निर्ममता ने इन्हें अपने साम्राज्य में शासन काल का आबादी का कारण बना दिया इन्होंने हिंदू पर दोगुना कर लगाया सरिया और गैर मुसलमानों पर जजिया धार्मिक कर लगाया और अनेक मंदिरों का विनाश कर एक धार्मिक विद्रोह का जन्म हुआ जिसके कारण उनका पतन हुआ
औरंगजेब द्वारा तोड़ी गई हिंदू मंदिरों की सूची
हम आपको उस मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिनको औरंगजेब ने नष्ट करके अपना मस्जिद स्थापित किया था
मदन मोहन मंदिर
यह मंदिर वृन्दावन में काली घाट के पास स्थित है यहाँ मंदिर जंगलों में था लेकिन भगवान मदन जी की मूर्ति इस मंदिर में नहीं है यह मंदिर इस क्षेत्र का सबसे पुराना मंदिर माना जाता वर्तमान काल में औरंगजेब के शासन के समय मूर्ति को बचाने के लिए राजस्थान नामांकित स्थान में भेज दिया गया था
भीम देवी मंदिर
हरियाणा के प्रसिद्ध मंदिर भीम देवी जो कि पिंजौरी नामक स्थान में स्थित इस मंदिर को मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा कई बार नष्ट किया गया था औरंगजेब के शासनकाल के समय इस जगह से निकट मुगल गार्डन मैं इस स्थिति मलबे का उपयोग करके बनाया गया था
विजय मंदिर
यह विजय मंदिर जिसका दूसरा नाम वीजामंडल भी माना जाता है यह मंदिर विदिशा जिले के मुख्यालय में उपस्थित हैं इस मंदिर का निर्माण 11 वीं शताब्दी में करवाया गया था इस मंदिर को औरंगजेब के द्वारा 1682 में नष्ट कर दिया गया था
कृष्ण मंदिर
कृष्ण मंदिर जिसे कृष्ण कृष्ण भूमि के नाम से भी जाना जाता है तथा इसका दूसरा नाम केशव देव मंदिर भी है यह मंदिर उत्तर प्रदेश के मथुरा शहर में स्थित है यह माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण कृष्ण भगवान के पोते वज्र ने करवाया था यहाँ स्थित लोगों का मानना है कि यह मंदिर 5000 साल पहले बनवाया गया था
सोमनाथ मंदिर
यहाँ मंदिर जो कि शिव भगवान का मंदिर है जिसे 12 ज्योतिर्लिंगों में पहला माना जाता है यह मंदिर गुजरात के पश्चिम तट पर सोम राष्ट्र में स्थित है वर्तमान काल में यह मंदिर कई बार नष्ट और पुनर्निर्माण किया गया है
FAQ
Q – औरंगज़ेब ने हिंदू पर कौन सा कर लगाई थी ?
ANS – औरंगजेब द्वारा हिंदुओं पर लगाए जाने वाला कर का नाम जजिया था
Q – औरंगजेब ने मंदिरों को क्यों तोड़ा ?
ANS – औरंगजेब के भाई दारा शिकोह के साथ हुए बर्ताव को लेकर सूफी संतों से नाराज थे बनारस में दारा कुछ समय तक रहा था जिससे वहाँ रहने वाले पंडितों से हल्की दोस्ती हो गई थी लेकिन औरंगजेब को साजिश की भनक लगने के कारण उन पंडितों से नाराज होकर मंदिर तोड़ने का आदेश दिया था
Q – बाबर ने कितने मंदिर तोड़े ?
ANS – बाबर ने लगभग 60,000 से भी ज्यादा मंदिरों को तोड़ डाला और उस जगह पर मस्जिद स्थित करवाया
Q – जजिया कर कब समाप्त किया गया ?
ANS – जजिया कर को अकबर ने सन 1566 ईस्वी में समाप्त किया लेकिन उस कब्र की शुरुआत 1575 ईस्वी में फिर से शुरू कर दिया गया लेकिन बाद में 1579–80 के मध्य फिर से समाप्त कर दिए गए
Q – बाबरी मस्जिद में कितने मुसलमान मारे गए ?
ANS – बाबरी मस्जिद में कुल 18 मुसलमानों की आकस्मिक हत्या कर दी गई स्के अलावा उनके सभी घरों और दुकानों को जला दिया गया
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